Sunday, May 31, 2020




#52_Cruelities_On_GodKabir

💢कबीर परमेश्वर को तोप के गोलों से मारने की व्यर्थ चेष्टा"
कबीर जी को मारने के लिए शेखतकी के आदेश पर पहले पत्थर मारे, फिर तीर मारे। परन्तु परमेश्वर की ओर पत्थर या तीर नहीं आया। फिर चार पहर तक तोप यंत्र से गोले चलाए गए।

💢खूनी हाथी से मरवाने की व्यर्थ चेष्टा"
शेखतकी के कहने पर दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने कबीर परमेश्वर को खूनी हाथी से मरवाने की आज्ञा दे दी।




💢शेखतकी पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3 दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी सभी आश्रमों में झूठी चिठ्ठी डलवाई थी कि कबीर जी 3 दिन का भंडारा करेंगे सभी आना भोजन के बाद एक मोहर, एक दोहर भी देंगे। कबीर साहेब ने 3 दिन का मोहन भंडारा भी करा दिया था और कबीर साहेब की महिमा भी हुई।


अधिक जानकारी के लिए देखे कैसे शेख तकि ने 52 बार कबीरसाहेब को मारने की कोशिश की।👇👇👇वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

https://www.facebook.com/SatlokAshram/videos/248135679754998

Friday, May 29, 2020

God kabir comes in the all four yug


               कबीर परमात्मा चारो युगों में आते है।                                                       
                                                                                                                                                              🎉परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में नामांतर करके शिशु रूप में प्रकट होते हैं कबीर परमात्मा हर युग में आते हैं
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18.   

                                                                          सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं.     

                                                                             👉सर्व महर्षियों व संत कहलाने वालों ने प्रभु को निराकार बताया है। वास्तव में परमात्मा आकार में है। मनुष्य सदृश शरीर युक्त है।.                                                            🎉परमेश्वर का शरीर नाड़ियों के योग से बना पांच तत्व का नहीं है। एक नूर तत्व से बना है।वे कभी मां से जन्म नहीं लेते 
                                                                             👉ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है                                    👉उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर प्रभु) ही है।

Tuesday, May 19, 2020



 मानव का उत्थान 


 🌺वर्तमान में मानवता का पतन 🌺
वर्तमान में मनुष्य जैसे-जैसे कलयुग बढ़ रहा है इंसान में बुराइयां घर करती जा रही हैं अपनी इंसानियत संस्कारों को भूलते जा रहे हैं।बड़ों का सम्मान छोटों को प्यार अपना रहन-सहन का तरीका इंसानियत अपना समाज जैसे सब कुछ इंसान पीछे छोड़ रहा है इस आधुनिक युग में भुलता चला जा रहा है।

🌺मानव जीवन की आम धारणा v/s आध्यात्मिक ज्ञान से आम धारणा में बदलाव 

👉आम धारणा में व्यक्ति को पुत्र चाह होती है कि पुत्र नहीं है तो उसका वंश नहीं चलता। (परंतु आध्यात्मिक ज्ञान

की दृष्टि से पुत्र-पुत्री में  कोई अंतर नहीं माना जाता)
👉आम धारणा में तो बहु को कभी भी बेटी नही समझ जाता उसके साथ मारपीट की जाती है एक नोकरानी की तरह समझ जाता है  जबकि आध्यात्मिक ज्ञान से बहु को बेटी समझने लगेगा खुशहाल परिवार रहेगा ।उसे दहेज के लिए प्रताड़ित नही करेगा ।क्योकि उसे भगवान का डर रहेगा ।
👉आम धारणा से मनुष्य चोरी ठगी करता है उसे अपना स्वार्थ सिद्ध करना है उसे कोई फर्क नही पड़ता वो अपने स्वार्थ के लिए हत्या तक कर देता है जबकि आध्यात्मिक ज्ञान से वो चोरी जारी नही करेगा उसके ह्रदय में आत्मा में पवित्रता आएगी वो तो सपने में भी किसी का बुरा नही सोचेगा ।
👉अच्छे विचार और समझ न होने से घर मे आपस मे झगड़े व ग्रह क्लेश होता है जबकि आध्यात्मिक ज्ञान होने से मनुष्य के विचारों में शुद्धता आती है वह सभी सदस्य आपस मे प्रेम से रहते है उन्हें किसी चीज का मोह नही होता सब भक्ति करते है जिससे अच्छे संस्कार ग्रहण करते है ।
👉 जब तक यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान नहीं होता तो जन-साधारण की धारणा होती है कि :- बच्चो को पढ़ा लिखा दो जिससे वो रोजगार प्राप्त कर लेंगे उनकी शादी कर दो भगवान इनको संतान दे देगा ओर माता-पिता का कर्तव्य पूरा हुआ यह तो पूर्व निर्धारित संस्कारही प्राप्त हुआ, नया कुछ नहीं मिला। ✨उदाहरण से स्पष्ट होता है कि न तो मानव का चाहा हुआ और न किया हुआ। जो कुछ हुआ, संस्कारवश ही हुआ।
आध्यात्मिक धारणा से विचार  यह परमेश्वर का विधान है।मानव शरीर प्राप्त प्राणी को वर्तमान जन्म में पूर्ण संत से दीक्षा लेकर भक्ति करनी चाहिए तथा पुण्य-दान, धर्म तथा शुभ कर्म अवश्य करने चाहिऐं, अन्यथा पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खा-खर्च कर खाली होकर परमात्मा के दरबार में जाएगा।
फिर पशु आदि के जीवन भोगने पड़ेंगे।











🌟जैसे किसान अपने खेत में गेहूँ, चना आदि बीजता है। फिर परिश्रम करके उन्हें परिपक्व करके घर लाकर अपने कोठे (कक्ष) में भर लेता है। यदि वह पुनःबीज बो कर फसल तैयार नहीं करता है और पूर्व वर्ष के गेहूँ व चने को खा-खर्च रहा है तो वर्तमान में तो उसे कोई आपत्ति नहीं आएगी क्योंकि पूर्व वर्ष के गेहूँ-चना शेष है, परंतु एक दिन वह पूर्व वाला संग्रह किया अन्न समाप्त हो जाएगा और वह किसान परिवारभिखारी हो जाएगा। ठीक इसी प्रकार मानव शरीर में जो भी प्राप्तहो  रहा है, वह पूर्व के जन्मों का संग्रह है।

🌟यदि वर्तमान में शुभ कर्म तथा भक्ति नहीं की तो भविष्य का जीवन नरक हो जाएगा।अध्यात्म ज्ञान होने के पश्चात् मानव बुद्धिमान किसान की तरह प्रतिवर्ष प्रत्येक मौसम में दान-धर्म, स्मरण रूपी फसल बोएगा तथा अपने घर में संग्रह करके खाएगा तथा बेचकर अपना खर्च भी चलाएगा यानि पूर्ण गुरू जी से दीक्षा लेकर उनके बताए अनुसार साधना तथा दान-धर्म प्रति समागम में करके भक्ति धन को संग्रह करेगा। इसलिए परम संत मानव को जीने की राह बताता है। उसका आधार सत्य आध्यात्मिक ज्ञान सर्व ग्रन्थों से प्रमाणित होता है।

🎉समाज व देश को जरूरत है ऐसे संत की जो मानवता का उत्थान कर सके।

वो संत इस धरती पर संत रामपाल जी महाराज जी है जिन्होंने मानव उत्थान के लिए सभी बुराइयों को जड़ से खत्म करवा रहे है 
                    जीव हमारी जाती है मानव धर्म हमारा 
            हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नही कोई न्यारा 

🤗संत रामपाल जी महाराज जी के मानव उत्थान के उद्देश्य🤗

🌟अधिक जानकारी के लिए देखे सत्संग साधना चेनल पर रोज 7.40 से 8.40 pm पर 

🌟भविष्यवाणी जो भविष्य वक्ताओं ने की संत रामपाल जी महाराज जी पर सटीक बैठती है विडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे।👇



Thursday, May 14, 2020

शिक्षा का गिरता स्तर

शिक्षा का गिरता स्तर  !.... आधुनिक शिक्षा प्रणाली यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है।आध्यात्म  और भावनाओं से कौसों दूर है।आधुनिक शिक्षा आज जीविका कमाने का साधन मात्र बनकर रह गई है। संस्कार, नीतियाँ और परंपराएँ बहुत पीछे छूट गए हैं।  यह शोषण की नीति पर आधारित है।  उसमें नीति और संस्कारों का नितांत अभाव मिलता है। इसलिए शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है !



'शिक्षा' शब्द का अर्थ है-अध्ययन तथा ज्ञान ग्रहण करना। वर्तमान युग में शिक्षण के लिए ज्ञान, विद्या, एजूकेशन आदि अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग होता है।शिक्षा हमे अच्छे संस्कार देती है, नैतिकता देती है, समाज में मिल जुलकर रहना सिखाती है, आज जरुरत है ऐसे संस्थानों की जहाँ बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार उन्ही विषयों के बारे में पढ़ाया जाए जहाँ वह आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सके तथा उन्हें आर्थिक समस्याओं से न जूझना पड़े 
शिक्षा हमारे सोचने, रहने और जीने के ढंग को बदलने में सहायता करती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमें धनी बना सकती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के स्वयं के ही  लाभ है परन्तु कहीं-न-कहीं वह स्वयं को खो रहा है। 



'शिक्षा' प्राचीन समय में :- प्राचीन शिक्षा प्रणाली का मुख्य आधार हुआ करती थी-मानवीय संवेदना और आध्यतम ज्ञान था !हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति हमें प्रकृति और सभी प्राणियों से संपर्क बनाए रखने में सहायता करती थी। ऋषि मुनियो दवारा अच्छे गुण , संस्कारों, नीतियों और अपने परिवेश को बेहतर समझने में सहायक थी। मनुष्य प्रकृति के बहुत समीप था। 




शिक्षा के गिरते स्तर का मुख्य कारण - हमारी शिक्षा पद्धति है। किसी भी देश का भविष्य और उसकी तरक्की उसके युवाओं पर निर्भर करती है और एक युवा अपनी शिक्षा के दम पर योग्य बनता है। किसी भी इंसान की सोच पर उसकी शिक्षा और वातावरण का गहरा प्रभाव होता है।शिक्षा का व्यवसायी करण होने से इसके स्तर में गिरावट आ गई है । आजकल शिक्षा का मतलब है पैसा दो और शिक्षा ग्रहण करें, बालक का विकास हो रहा है या नहीं, उसका रुझान किस ओर है, उसमे कितनी योग्यता है इस बात से स्कूलों का कोई सरोकार नहीं होता, वहाँ तो सिर्फ अपनी कर्त्तव्य पूर्ति की जाती है ।

इसका प्रमुख कारण है स्कूलों का निजीकरण,बच्चों पर पढ़ाई का भार ,आज जगह - जगह बच्चों को टूशन पढ़ाने के लिए संस्थान खुलते जा रहे है ।

शिक्षा का महत्व :- शिक्षा का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, शिक्षा जितनी आत्मनिर्भरता तथा कैरियर के लिए जरुरी है उतनी ही व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आवशयक है । अच्छी शिक्षा प्राप्त करने वाला व्यक्ति एक अच्छे स्वस्थ समाज का निर्माण करने में सहायक है । प्रायः देखा जाता है जिस राष्ट्र में जितनी साक्षरता होती है वहाँ विकास द्रुतगति से होता है । शिक्षा हमे अच्छा नागरिक बनाने के साथ - साथ एक सफल व्यक्ति भी बनाती है, 




वर्तमान समय में शिक्षा का स्तर:- शिक्षा एक अंत तक  चलने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म से मृत्यु पर्यंत इस प्रक्रिया से गुजरता हुआ कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। शिक्षा का अर्थ ढूंढे तो भी हमें कोई ऐसा अर्थ नहीं मिलेगा जो अपने आप में पूर्ण हो। वर्तमान में शिक्षा का अर्थ केवल स्कूली शिक्षा से लिया गया  है शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की अक्सर सुनने में आती है। किन्तु सुधार कहीं नजर नहीं आता  । वह तो हमारी शिक्षा नीति  में बहुत सुधार की आवश्यकता हैमध्यवर्ग और आर्थिक रूप से सामान्य स्थिति वाले लोगों के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल ही बचते हैं। आज भी देश की एक बड़ी आबादी सरकारी स्कूलों के ही आसरे है। फिर वे चाहे कैसे हों। इन स्कूलों में न तो योग्य अध्यापक हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं। बड़े अफसर और वे सरकारी कर्मचारी जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है, अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं।

शिक्षा में गुरु की भूमिका :शिक्षा में गुरु की महवत्पूर्ण भूमिका होती है, माता - पिता के बाद यदि बच्चे किसी पे विश्वास कर सकते है तो वह है गुरु । गुरु एक बालक को उसके अंदर विद्यमान गुणों को निखारकर उँच्चाईयो तक ले जाता है ।आजकल गुरु शिष्य परंपरा समाप्त हो गई है !
वर्तमान में सच्चे गुरु (संत रामपाल जी )

वर्तमान में आज हमारे समक्ष एक ऐसे संत इस धरती पर विराजमान है जिनसे  शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य जीवन का जो उद्देश्य है उसे प्राप्त कर सकता है मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त  होने के बाद वो बुराइयों से कोसो दूर रहेगा !समाज में फैली कुरीतिया भी आध्यात्म ज्ञान से ही दूर होगी ! 

संत रामपाल जी दवारा समज में फैली बुराइयों और कुरीतियों को खतम करने के लिए बहुत सारे अभियान चला रहे है गुरु शिक्षा से ही समाज में सुधर हो सकता है भारत  फिर एक बार विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त कर सकेगा ! 
संत रामपाल जी महाराज जी के मुख्य उद्देश्य 
जैसे -  
दहेज़ रहित शादिया (दहेज़ का ख़ात्मा )
समाज में जातिगत भेदभाव खत्म करना !
समाज में शांति और भाईचारा स्थापित करना !
बेटी अब बोझ नहीं 
कन्या भूर्ण हत्या 
समाज से हर प्रकार के नशे को दूर करना !
नशामुक्त भारत
समाज से दहेज़ रूपी कुरीति को जड़ से खतम करना !
युवाओ में नैतिक और आद्यत्मिक जागर्ति लाना !
समाज में पाखंड को खतम करना !
भष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करना !
सामजिक बुराइयों को खत्म  करके स्वच्छ समज का निर्माण करना !


यह सब सामाजिक कुरीतिया खतम करना संत रामपाल जी महाराज जी के अद्वितीय ज्ञान से ही संभव है !

👰बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान   👰

🙅दहेज का खात्मा 👇    https://youtu.be/5OW602qn4WM


 🙅कन्या भूर्ण  हत्या  🤗👧
https://youtu.be/IVKYQc0bSqE




👉जीने की राह पुस्तक पढ़े  और डाउनलोड के लिए यहाँ क्लिक करे ! 👇


🌺अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज की वेबसाइट पर सर्च करे !👇
https://www.jagatgururampalji.org/en/creation-of-nature-universe/video-hindi/









Wednesday, May 13, 2020



सच्चा भगवान कौन है ?

आज हमारे समाज मे सबकी अलग अलग विचारधारा है ।हिन्दू धर्म मे करोड़ो देवी -देवता है हर कोई अपने अपने पूर्वजों के अनुसार उनकी पूजा करते आ रहे है ।हिन्दू धर्म के लोग अपने राम,कृष्ण ,शिव को बड़ा बताते है तो मुसलमान अपने अल्लाह को ,हर कोई  धर्म ,अपने ईश्वर को सर्वोच्च और सृष्टिकर्ता मानता है लेकिन सच क्या है? कोई कहता है कि भगवान अवतार रूप में आते है । तो कोई कहते है भगवान निराकार है या साकार । भगवान सर्व व्यापक है । भगवान जन्म और मृत्यु परे है ।भगवान एक है ।जिसने सभी जीव ,जन्तु ,मनुष्य की उत्पत्ति की है,
💫आज वर्तमान स्थिति यह है कि धर्मगुरुओं ने धर्म को अपना धंधा बना दिया लोगो को सुनी सुनाई👂 कथा कहते है और भोली दुनिया से भगवान के नाम से लाखों रुपये लूटते है भर्मित कर रहे है 
क्योकि भगवान की खोज हर किसी को है ।
👉आइये आज इस गुप्त रहस्य से पर्दा उठाते है ?कौन है वो सच्चा भगवान ?






जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा, हिन्दू,मुस्लिम, सिख्ख,ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।

 👉पवित्र सद्ग्रन्थों के प्रमाणों को पढ़कर दाँतों तले उँगली दबाऐंगे कि यह वास्तविक अमृत ज्ञान कहाँ छुपा था? कृप्या धैर्य के साथ पढ़ते रहिए !









💥गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में बताते हुए कहा है कि यह संसार उल्टे लटके हुए वृक्ष की तरह है। जिसकी ऊपर को मूल तथा नीचे को शाखा है। जो इस संसार रूपी वृक्ष के विषय में जानता है वह तत्वदर्शी संत है। गीता अध्याय 15 श्लोक 2 से 4 में कहा है कि उस संसार रूपी वृक्ष की तीनों गुण(रजगुण-ब्रह्मा, सतगुण-विष्णु, तमगुण-शिव) रूपी शाखा है। 

💫वह संत रामपालजी महाराज है जो पुर्ण परमात्मा के अंश बनकर आये है, एक संदेश वाहक के रुप मे जीव आत्माओं को सच्चा और शास्त्रअनुकुल ज्ञान समझाकर पूर्ण परमात्मा की जानकारी करा रहे हैं 
पूर्ण परमात्मा धरती पर सतगुरु रुप में अवतरित होते हैं या अपना अंश भेजते है। और वर्तमान में  पूर्ण परमात्मा ने अपने अंश को एक महान संत के रुप मे भेजा है (वो संत रामपाल जी है ) जिन्होंने सर्व सदग्रंथ जैसे गीता ,गुरुग्रंथ साहेब, वेद शास्त्र पुराण, कुरान शरीफ, बाईबल और भी अन्य धर्म जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म अदि सदग्रंथो की गहराई में ज्ञान का गोता लगाया और मालूम किया की पूर्ण भगवान तो सिर्फ एक ही है! 

👉हमारे सभी धर्म ग्रंथो से सिद्ध होता है की भगवान  कबीर साहेब है 






अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी वेबसाइट पर सर्च करे !👇


https://www.youtube.com/watch?list=PLApb0agNDuAySJjZK-Yk_qqcodOQF4G8h&time_continue=138&v=vPhutRJ5J5k&feature=emb_title


Friday, May 8, 2020

ईश्वर कौन है", ईश्वर कैसा है


आखिरकार "ईश्वर क्या है?"

सबसे बुनियादी सवाल जो सभी के मन में आता है वह ", ईश्वर कौन है" कैसा है? "क्या कोई ईश्वर है", यदि ऐसा है, तो "ईश्वर कैसा दिखता है?", "ईश्वर एक मानव है", "ईश्वर पुरुष या स्त्री है", आखिरकार "ईश्वर क्या है?"


सबसे बुनियादी सवाल जो सभी के मन में आता है
🌺यह सबसे पेचीदा सवाल है जो सदियों से मानव जाति को परेशान करता रहा है। यह प्रश्न इस तथ्य के कारण उत्पन्न होता है कि हम मनुष्य अपने आसपास होने वाली प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या करने में सक्षम नहीं हैं। हम अभी भी निर्माण की सबसे बुनियादी अवधारणा की व्याख्या नहीं कर सकते है ,हम अपने अस्तित्व की व्याख्या भी नहीं कर सकते। 👉हम जन्म लेते हैं और मर जाते हैं। कोई नहीं जानता कि समय में एक निश्चित समय पर जन्म क्यों लेता है, 👉और एक की मृत्यु क्यों होती है। हम इसे प्रकृति के नियम के रूप में स्वीकार करते हैं। ये अस्पष्टीकृत घटनाएं हमें कुछ "अन्य" शक्ति में विश्वास दिलाती हैं जिसके कारण सभी अस्पष्टीकृत चीजें हो रही हैं।
तो निश्चित रूप से कुछ "हायर पावर" है जिसे हम भगवान कहते हैं।
🌳जिस तरह से विज्ञान का आधार होता है उसी तरह हम भगवान को जानने के लिए हमारे वेद ,धार्मिक ग्रंथों को आधार मानेंगे ।
☝आइये जानते है हमारे वेद धर्मग्रंथों में भगवान की पहचान करने के लिए कोनसे तथ्य/प्रमाण बताये गए है ।
                              
                           💥    प्रमाण 💥
            🌺 1. ईश्वर कैसा है ? प्रमाण सहित देखे 👇
🌺ईश्र्वर साकार है मनुष्य सदृश्य आकार में है । पवित्र यजुर्वेद इसकी व्याख्या करता है ।
             

🌺2.ईश्वर कौन है"? प्रमाण सहित देखे 👇
तो उपरोक्त प्रमाण से सिद्ध होता है कि भगवान साकार है और सभी वेद और ग्रंथो से सिद्ध होता है कि भगवान कबीर साहेब है 



पवित्र गीता जी मे प्रमाण :- 
कबीर, अक्षर पुरूष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार। तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।।
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तथा 16-17 में यह प्रमाणित हुआ कि उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष की मूल अर्थात् जड़ तो परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् पूर्ण ब्रह्म है ।


💐🌼   प्रमाण सहित ज्यादा जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज जी की वेबसाइट सर्च करे लिंक के लिए क्लिक करे ।🌼👇  https://www.jagatgururampalji.org/






Thursday, May 7, 2020

दहेज प्रथा -सामाजिक अभिशाप




दहेज प्रथा - एक सामाजिक अभिशाप



भारतीय समाज में अनेक प्रथाएं प्रचलित हें । पहले इस प्रथा के प्रचलन में भेंट स्वरूप बेटी को उसके विवाह पर उपहारस्वरूप कुछ दिया जाता था परन्तु आज दहेज प्रथा एक बुराई का रूप धारण करती जा रही है । दहेज के अभाव में योग्य कन्याएं अयोग्य वरों को सौंप दी जाती हैं । लोग धन देकर लड़कियों को खरीद लेते हैं । ऐसी स्थिति में पारिवारिक जीवन सुखद नहीं बन पाता । गरीब परिवार के माता-पिता अपनी बेटियों का विवाह नहीं कर पाते क्योंकि समाज के दहेज-लोभी व्यक्ति उसी लड़की से विवाह करना पसंद करते हैं जो अधिक दहेज लेकर आती हैं ।
हमारे देश में दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों, चाहे वे मानसिक हों या फिर शारीरिक, को बढावा देता है. इस व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है. अमीर और संपन्न परिवार जिस प्रथा का अनुसरण अपनी सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा दिखाने के लिए करते हैं वहीं निर्धन अभिभावकों के लिए बेटी के विवाह में दहेज देना उनके लिए विवशता बन जाता है।
🌺👉आइए जानते है इस कुप्रथा का खात्मा कैसे करे ?
संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा एक अनूठी पहल 🌸👇
            
💐17 मिनट में रमैनी एक विवाह ऐसा भी 💐


👉 संत रामपाल जी महाराज समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त कर रहे हैं । उन्होंने लाखों दहेज रहित बिना फिजूलखर्ची के बेहद साधारण तरीके से विवाह करवाकर समाज सुधार की मिसाल पेश की है ।



       बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान
               दहेज का खात्मा
👇👇👇👇👇💯🚺👰🤰


स्वर्णिम समय (golden time)

एक विद्यार्थी के लिए
सवाल:- lockdown में विद्यार्थी का पढ़ाई में मन नही लगता है तो इस मे अपना मन पढ़ाई में कैसे लगाए ?
उत्तर :-  आज इस lockdown में विद्यार्थी अपने समय का सदुपयोग बहुत अच्छे से कर सकते है । आज के जैसा समय फिर कभी नही आएगा। ओर यह एक वास्तविकता है कि यह समय आपके जीवन का स्वर्णिम समय है ,हर पुस्तक को गहराई से पढ़े । आज जो विद्यार्थी ये कहते है कि अब इस समय मे पढ़ने में मन नही लग रहा है ये सिर्फ मन ही करवाता है जो बोरियत महसूस करवा रहा है नेगटिव की तरफ ले जाता है ।
जो विद्यार्थी पढ़ेगा वह किसी भी एग्जाम में सफलता प्राप्त कर लेगा । 

Wednesday, May 6, 2020

Secret of success

अपने छोटे छोटे कामो में भी ,अपना दिल ,दिमाग और आत्मा को लगा दीजिये यही सफलता का रहस्य है ।

Self motivational ideas

कुछ लोग सफल होने के लिए केवल सपने देखते है जबकि  अन्य लोग अपने सपने को पूरा करने के लिए कठिन मेहनत करते है रात भर जागते है ।
सफल होने का कोई राज नही है इसके लिए आपको औरो से हटकर कुछ करने होगा असफलता से सीख लेनी होगी ।
भीड़ से अलग चलना होगा कठिन मेहनत और लगन से सपने को पूरा करने में लगना होगा ।