शिक्षा का गिरता स्तर !.... आधुनिक शिक्षा प्रणाली यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है।आध्यात्म और भावनाओं से कौसों दूर है।आधुनिक शिक्षा आज जीविका कमाने का साधन मात्र बनकर रह गई है। संस्कार, नीतियाँ और परंपराएँ बहुत पीछे छूट गए हैं। यह शोषण की नीति पर आधारित है। उसमें नीति और संस्कारों का नितांत अभाव मिलता है। इसलिए शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है !
'शिक्षा' शब्द का अर्थ है-अध्ययन तथा ज्ञान ग्रहण करना। वर्तमान युग में शिक्षण के लिए ज्ञान, विद्या, एजूकेशन आदि अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग होता है।शिक्षा हमे अच्छे संस्कार देती है, नैतिकता देती है, समाज में मिल जुलकर रहना सिखाती है, आज जरुरत है ऐसे संस्थानों की जहाँ बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार उन्ही विषयों के बारे में पढ़ाया जाए जहाँ वह आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सके तथा उन्हें आर्थिक समस्याओं से न जूझना पड़े
शिक्षा हमारे सोचने, रहने और जीने के ढंग को बदलने में सहायता करती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमें धनी बना सकती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली यथार्थ और व्यवहारिक ज्ञान से बहुत दूर है। यह मात्र आधुनिकता की बात करती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली के स्वयं के ही लाभ है परन्तु कहीं-न-कहीं वह स्वयं को खो रहा है।
'शिक्षा' प्राचीन समय में :- प्राचीन शिक्षा प्रणाली का मुख्य आधार हुआ करती थी-मानवीय संवेदना और आध्यतम ज्ञान था !हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति हमें प्रकृति और सभी प्राणियों से संपर्क बनाए रखने में सहायता करती थी। ऋषि मुनियो दवारा अच्छे गुण , संस्कारों, नीतियों और अपने परिवेश को बेहतर समझने में सहायक थी। मनुष्य प्रकृति के बहुत समीप था।
शिक्षा के गिरते स्तर का मुख्य कारण - हमारी शिक्षा पद्धति है। किसी भी देश का भविष्य और उसकी तरक्की उसके युवाओं पर निर्भर करती है और एक युवा अपनी शिक्षा के दम पर योग्य बनता है। किसी भी इंसान की सोच पर उसकी शिक्षा और वातावरण का गहरा प्रभाव होता है।शिक्षा का व्यवसायी करण होने से इसके स्तर में गिरावट आ गई है । आजकल शिक्षा का मतलब है पैसा दो और शिक्षा ग्रहण करें, बालक का विकास हो रहा है या नहीं, उसका रुझान किस ओर है, उसमे कितनी योग्यता है इस बात से स्कूलों का कोई सरोकार नहीं होता, वहाँ तो सिर्फ अपनी कर्त्तव्य पूर्ति की जाती है ।
इसका प्रमुख कारण है स्कूलों का निजीकरण,बच्चों पर पढ़ाई का भार ,आज जगह - जगह बच्चों को टूशन पढ़ाने के लिए संस्थान खुलते जा रहे है ।
शिक्षा का महत्व :- शिक्षा का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, शिक्षा जितनी आत्मनिर्भरता तथा कैरियर के लिए जरुरी है उतनी ही व्यक्तित्व के निर्माण के लिए आवशयक है । अच्छी शिक्षा प्राप्त करने वाला व्यक्ति एक अच्छे स्वस्थ समाज का निर्माण करने में सहायक है । प्रायः देखा जाता है जिस राष्ट्र में जितनी साक्षरता होती है वहाँ विकास द्रुतगति से होता है । शिक्षा हमे अच्छा नागरिक बनाने के साथ - साथ एक सफल व्यक्ति भी बनाती है,
वर्तमान समय में शिक्षा का स्तर:- शिक्षा एक अंत तक चलने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म से मृत्यु पर्यंत इस प्रक्रिया से गुजरता हुआ कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। शिक्षा का अर्थ ढूंढे तो भी हमें कोई ऐसा अर्थ नहीं मिलेगा जो अपने आप में पूर्ण हो। वर्तमान में शिक्षा का अर्थ केवल स्कूली शिक्षा से लिया गया है शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की अक्सर सुनने में आती है। किन्तु सुधार कहीं नजर नहीं आता । वह तो हमारी शिक्षा नीति में बहुत सुधार की आवश्यकता हैमध्यवर्ग और आर्थिक रूप से सामान्य स्थिति वाले लोगों के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल ही बचते हैं। आज भी देश की एक बड़ी आबादी सरकारी स्कूलों के ही आसरे है। फिर वे चाहे कैसे हों। इन स्कूलों में न तो योग्य अध्यापक हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं। बड़े अफसर और वे सरकारी कर्मचारी जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है, अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं।
शिक्षा में गुरु की भूमिका :- शिक्षा में गुरु की महवत्पूर्ण भूमिका होती है, माता - पिता के बाद यदि बच्चे किसी पे विश्वास कर सकते है तो वह है गुरु । गुरु एक बालक को उसके अंदर विद्यमान गुणों को निखारकर उँच्चाईयो तक ले जाता है ।आजकल गुरु शिष्य परंपरा समाप्त हो गई है !
वर्तमान में सच्चे गुरु (संत रामपाल जी )
वर्तमान में आज हमारे समक्ष एक ऐसे संत इस धरती पर विराजमान है जिनसे शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य जीवन का जो उद्देश्य है उसे प्राप्त कर सकता है मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होने के बाद वो बुराइयों से कोसो दूर रहेगा !समाज में फैली कुरीतिया भी आध्यात्म ज्ञान से ही दूर होगी !
संत रामपाल जी दवारा समज में फैली बुराइयों और कुरीतियों को खतम करने के लिए बहुत सारे अभियान चला रहे है गुरु शिक्षा से ही समाज में सुधर हो सकता है भारत फिर एक बार विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त कर सकेगा !
संत रामपाल जी महाराज जी के मुख्य उद्देश्य
जैसे -
दहेज़ रहित शादिया (दहेज़ का ख़ात्मा )
समाज में जातिगत भेदभाव खत्म करना !
समाज में शांति और भाईचारा स्थापित करना !
बेटी अब बोझ नहीं
कन्या भूर्ण हत्या
समाज से हर प्रकार के नशे को दूर करना !
नशामुक्त भारत
समाज से दहेज़ रूपी कुरीति को जड़ से खतम करना !
युवाओ में नैतिक और आद्यत्मिक जागर्ति लाना !
समाज में पाखंड को खतम करना !
भष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण करना !
सामजिक बुराइयों को खत्म करके स्वच्छ समज का निर्माण करना !
यह सब सामाजिक कुरीतिया खतम करना संत रामपाल जी महाराज जी के अद्वितीय ज्ञान से ही संभव है !
👰बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान 👰
🙅दहेज का खात्मा 👇 https://youtu.be/5OW602qn4WM
https://youtu.be/IVKYQc0bSqE
👉जीने की राह पुस्तक पढ़े और डाउनलोड के लिए यहाँ क्लिक करे ! 👇
🌺अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज की वेबसाइट पर सर्च करे !👇
https://www.jagatgururampalji.org/en/creation-of-nature-universe/video-hindi/
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