कृष्णजन्माष्टमी :- भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव है। भगवद्गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया। इसलिय कृष्ण भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।
कृष्ण भगवान लीलायें
भगवान श्री कृष्ण ने कई ऐसे चमत्कार किए जिसको आज भी सुनाया जाता है। श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए एक लीला रची थी।उन्होंने वृंदावन के लोगों को समझाया कि भगवान इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें. जिसके बाद भगवान इंद्र गुस्सा हो गए और वृंदावन पर मूसलाधार बारिश की. इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली यानी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया.
✨कृष्ण भगवान ने खुद कहा कि इंद् की पूजा छोड़कर उस एक परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जिससे मुसीबत के समय पूर्ण परमात्मा अपनी शक्ति से बचाव करते है ।
2. द्रोपदी का जब चिर हरण हो रहा था तभी द्रोपदी ने सभी भगवान को पुकारा ओर कृष्ण जी को भी पुकारा लेकिन उस वक़्त कृष्ण भगवान रुक्मणी के साथ चौसर खेल रहेे थे तभी
द्रोपदी ने सह्रदय से पूर्ण परमात्मा से पुकार की तभी पूर्ण मालिक ने द्रौपदी की साड़ी बढ़ा दी क्योकि द्रोपदी ने बूढ़े साधु को कोपीन दान की थी उन्होंने आशीर्वाद दिया था कि आज तुमने मेरी लाज बढ़ाई भगवान तुम्हारी लाज रखेंगे । उस साधु रूप में कबीर परमात्मा ही आये थे । पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही अपने भक्तों की लाज बचाते है
👉सारे वेद और सद्ग्रन्थों में भी कबीर साहेब की ही महिमा है ।सारे वेद शास्त्र में प्रमाणित है कबीर साहेब ही भगवान है ।
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कृष्ण भगवान लीलायें
भगवान श्री कृष्ण ने कई ऐसे चमत्कार किए जिसको आज भी सुनाया जाता है। श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए एक लीला रची थी।उन्होंने वृंदावन के लोगों को समझाया कि भगवान इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें. जिसके बाद भगवान इंद्र गुस्सा हो गए और वृंदावन पर मूसलाधार बारिश की. इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली यानी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया.
✨कृष्ण भगवान ने खुद कहा कि इंद् की पूजा छोड़कर उस एक परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जिससे मुसीबत के समय पूर्ण परमात्मा अपनी शक्ति से बचाव करते है ।
Lord krishna |
2. द्रोपदी का जब चिर हरण हो रहा था तभी द्रोपदी ने सभी भगवान को पुकारा ओर कृष्ण जी को भी पुकारा लेकिन उस वक़्त कृष्ण भगवान रुक्मणी के साथ चौसर खेल रहेे थे तभी
द्रोपदी ने सह्रदय से पूर्ण परमात्मा से पुकार की तभी पूर्ण मालिक ने द्रौपदी की साड़ी बढ़ा दी क्योकि द्रोपदी ने बूढ़े साधु को कोपीन दान की थी उन्होंने आशीर्वाद दिया था कि आज तुमने मेरी लाज बढ़ाई भगवान तुम्हारी लाज रखेंगे । उस साधु रूप में कबीर परमात्मा ही आये थे । पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही अपने भक्तों की लाज बचाते है
👉आज तक सभी यही सोचते है कि द्रोपदी की लाज कृष्ण ने बढ़ाई लेकिन यह अर्ध सत्य है । साधु रूप में कबीर भगवान ही आये और द्रोपदी के मन मे प्रेरणा करवाई ताकि उस पर आने वाले क्रस्ट से भगवान उसे बचा सके। सारि लीला कवीर साहेब की ही है पूर्ण परमात्मा इस धरती पर सिर्फ कबीर साहेब ही है ।
👉सारे वेद और सद्ग्रन्थों में भी कबीर साहेब की ही महिमा है ।सारे वेद शास्त्र में प्रमाणित है कबीर साहेब ही भगवान है ।
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