Tuesday, May 19, 2020



 मानव का उत्थान 


 🌺वर्तमान में मानवता का पतन 🌺
वर्तमान में मनुष्य जैसे-जैसे कलयुग बढ़ रहा है इंसान में बुराइयां घर करती जा रही हैं अपनी इंसानियत संस्कारों को भूलते जा रहे हैं।बड़ों का सम्मान छोटों को प्यार अपना रहन-सहन का तरीका इंसानियत अपना समाज जैसे सब कुछ इंसान पीछे छोड़ रहा है इस आधुनिक युग में भुलता चला जा रहा है।

🌺मानव जीवन की आम धारणा v/s आध्यात्मिक ज्ञान से आम धारणा में बदलाव 

👉आम धारणा में व्यक्ति को पुत्र चाह होती है कि पुत्र नहीं है तो उसका वंश नहीं चलता। (परंतु आध्यात्मिक ज्ञान

की दृष्टि से पुत्र-पुत्री में  कोई अंतर नहीं माना जाता)
👉आम धारणा में तो बहु को कभी भी बेटी नही समझ जाता उसके साथ मारपीट की जाती है एक नोकरानी की तरह समझ जाता है  जबकि आध्यात्मिक ज्ञान से बहु को बेटी समझने लगेगा खुशहाल परिवार रहेगा ।उसे दहेज के लिए प्रताड़ित नही करेगा ।क्योकि उसे भगवान का डर रहेगा ।
👉आम धारणा से मनुष्य चोरी ठगी करता है उसे अपना स्वार्थ सिद्ध करना है उसे कोई फर्क नही पड़ता वो अपने स्वार्थ के लिए हत्या तक कर देता है जबकि आध्यात्मिक ज्ञान से वो चोरी जारी नही करेगा उसके ह्रदय में आत्मा में पवित्रता आएगी वो तो सपने में भी किसी का बुरा नही सोचेगा ।
👉अच्छे विचार और समझ न होने से घर मे आपस मे झगड़े व ग्रह क्लेश होता है जबकि आध्यात्मिक ज्ञान होने से मनुष्य के विचारों में शुद्धता आती है वह सभी सदस्य आपस मे प्रेम से रहते है उन्हें किसी चीज का मोह नही होता सब भक्ति करते है जिससे अच्छे संस्कार ग्रहण करते है ।
👉 जब तक यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान नहीं होता तो जन-साधारण की धारणा होती है कि :- बच्चो को पढ़ा लिखा दो जिससे वो रोजगार प्राप्त कर लेंगे उनकी शादी कर दो भगवान इनको संतान दे देगा ओर माता-पिता का कर्तव्य पूरा हुआ यह तो पूर्व निर्धारित संस्कारही प्राप्त हुआ, नया कुछ नहीं मिला। ✨उदाहरण से स्पष्ट होता है कि न तो मानव का चाहा हुआ और न किया हुआ। जो कुछ हुआ, संस्कारवश ही हुआ।
आध्यात्मिक धारणा से विचार  यह परमेश्वर का विधान है।मानव शरीर प्राप्त प्राणी को वर्तमान जन्म में पूर्ण संत से दीक्षा लेकर भक्ति करनी चाहिए तथा पुण्य-दान, धर्म तथा शुभ कर्म अवश्य करने चाहिऐं, अन्यथा पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में खा-खर्च कर खाली होकर परमात्मा के दरबार में जाएगा।
फिर पशु आदि के जीवन भोगने पड़ेंगे।











🌟जैसे किसान अपने खेत में गेहूँ, चना आदि बीजता है। फिर परिश्रम करके उन्हें परिपक्व करके घर लाकर अपने कोठे (कक्ष) में भर लेता है। यदि वह पुनःबीज बो कर फसल तैयार नहीं करता है और पूर्व वर्ष के गेहूँ व चने को खा-खर्च रहा है तो वर्तमान में तो उसे कोई आपत्ति नहीं आएगी क्योंकि पूर्व वर्ष के गेहूँ-चना शेष है, परंतु एक दिन वह पूर्व वाला संग्रह किया अन्न समाप्त हो जाएगा और वह किसान परिवारभिखारी हो जाएगा। ठीक इसी प्रकार मानव शरीर में जो भी प्राप्तहो  रहा है, वह पूर्व के जन्मों का संग्रह है।

🌟यदि वर्तमान में शुभ कर्म तथा भक्ति नहीं की तो भविष्य का जीवन नरक हो जाएगा।अध्यात्म ज्ञान होने के पश्चात् मानव बुद्धिमान किसान की तरह प्रतिवर्ष प्रत्येक मौसम में दान-धर्म, स्मरण रूपी फसल बोएगा तथा अपने घर में संग्रह करके खाएगा तथा बेचकर अपना खर्च भी चलाएगा यानि पूर्ण गुरू जी से दीक्षा लेकर उनके बताए अनुसार साधना तथा दान-धर्म प्रति समागम में करके भक्ति धन को संग्रह करेगा। इसलिए परम संत मानव को जीने की राह बताता है। उसका आधार सत्य आध्यात्मिक ज्ञान सर्व ग्रन्थों से प्रमाणित होता है।

🎉समाज व देश को जरूरत है ऐसे संत की जो मानवता का उत्थान कर सके।

वो संत इस धरती पर संत रामपाल जी महाराज जी है जिन्होंने मानव उत्थान के लिए सभी बुराइयों को जड़ से खत्म करवा रहे है 
                    जीव हमारी जाती है मानव धर्म हमारा 
            हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नही कोई न्यारा 

🤗संत रामपाल जी महाराज जी के मानव उत्थान के उद्देश्य🤗

🌟अधिक जानकारी के लिए देखे सत्संग साधना चेनल पर रोज 7.40 से 8.40 pm पर 

🌟भविष्यवाणी जो भविष्य वक्ताओं ने की संत रामपाल जी महाराज जी पर सटीक बैठती है विडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे।👇



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